मेरी बात बन गई है तेरी बात करते करते

इस करम का करूँ शुक्र कैसे अदा जो करम मुझ पे मेरे नबी कर दिया मैं सजाता हूँ सरकार की मेहफ़िलें मुझ को हर ग़म से रब ने बरी कर दिया   मेरी बात बन गई है तेरी बात करते करते तेरे शहर में मैं आऊं तेरी नात पड़ते पड़ते तेरे इश्क़ की बदौलत मुझे […]

मेरी बात बन गई है तेरी बात करते करते Read More »

अब मैरी निगाहों में जचता नहीं कोई

अब मैरी निगाहों में जचता नहीं कोई जैसे मेरे सरकार है ऐसा नहीं कोई तुमसा तो हंसी आंखे ने देखा नहीं कोई ये शाने लताफत हे के साया नहीं कोई अब मैरी निगाहों में जचता नहीं कोई ए जरफे नजर देख मगर डेख अदब से सरकार का जलवा है तमाशा नहीं कोई अब मैरी निगाहों

अब मैरी निगाहों में जचता नहीं कोई Read More »

आओ नबी की शान सुनो

आओ नबी की शान सुनो नबी हे बोलता क़ुरआन सुनो हबीब प्यारा नजर उठाए हो मोला किब्ला बदल दे कहीं ये चाहत कहीं ये केहना ए मूंसा आना संभल के खुदा हे उन्पे मेहरबान सुनो नबी हे बोलता क़ुरआन सुनो नबी का सजदा हुवा है लंबा हुसैन पुश्त पर बैठे तेरे नवासे के जिनके जोडे

आओ नबी की शान सुनो Read More »

ए इश्के नबी मेरे दिल में भी समा जाना

ए इश्के नबी मेरे दिल में भी समा जाना मुझक भी मुहम्मद का दीवाना बना जाना ए इश्क नबी मेरे दिल में भी समा जाना जो रंग के जामी ओर रूमी पे चड़ाया था उस रंग की कुछ रंगत मुझ पे भी चड़ा जाना ए इश्क नबी मेरे दिल में भी समा जाना कुदरत की

ए इश्के नबी मेरे दिल में भी समा जाना Read More »

शेहरे-नबी तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है

शेहरे-नबी तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है ख़ुल्द भी है मुश्ताक़े-ज़ियारत जल्वा ही कुछ ऐसा है शेहरे-नबी तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है दिल को सुकूं दे, आँख को ठंडक, रोज़ा ही कुछ ऐसा है फ़र्शे-ज़मीं पर अर्शे-बरी हो, लगता ही कुछ ऐसा है ख़ुल्द भी है मुश्ताक़े-ज़ियारत जल्वा ही कुछ ऐसा है

शेहरे-नबी तेरी गलियों का नक़्शा ही कुछ ऐसा है Read More »

ज़मीनो ज़मां तुम्हारे लिये

ज़मीनो ज़मां तुम्हारे लिये, मकीनो मर्का तुम्हारे लिये चुनीनो चुनां तुम्हारे लिये बने दो जहाँ तुम्हारे लिये   दहन में जब तुम्हारे लिये, बदन में है जो तुम्हारे लिये हम आए यहाँ तुम्हारे लिये, उठे भी वहां तुम्हारे लिये   फ़िरिश्ते ख़िदम रसूले हिशम तमामे उमम गुलामे करम वुजूदो अदम हुसो क़िदम जहां में इयाँ

ज़मीनो ज़मां तुम्हारे लिये Read More »

छोड़ फ़िक्र दुनिया की

छोड़ फ़िक्र दुनिया की, चल मदीने चलते हैं मुस्तफ़ा गुलामों की क़िस्मतें बदलते हैं   छोड़ फ़िक्र दुनिया की   रहमतों के बादल के साए साथ चलते हैं मुस्तफ़ा के दीवानें घर से जब निकलते हैं   छोड़ फ़िक्र दुनिया की   हम को रोज़ मिलता है सदक़ा प्यारे आका का उन के दर के

छोड़ फ़िक्र दुनिया की Read More »

क़ादरी आस्ताना सलामत रहे

क़ादरी आस्ताना सलामत रहे मुस्तफ़ा का घराना सलामत रहे   पल रहे हैं जहा से ये दोनों जहां वो सखी आस‌ताना सलामत रहे   दर्दमंदों के सर पर है साया- फिगन आप का शामियाना सलामत रहे   तुम से मंसूब है जिंदगी का निसाब हश्र तक ये फ़साना सलामत रहे।   ये नकीरेन बोले मुझे

क़ादरी आस्ताना सलामत रहे Read More »

लम याति नज़ीरुक फ़ी नज़रिन

लम याति नज़ीरुक फ़ी नज़रिन, मिस्ले तो न शुद पैदा जाना जग राज को ताज तोरे सर सो, है तुझ को शहे दो सरा जाना   अल-बहरू अला वल-मौजु तगा, मन बे कसो तूफ़ां होशरुबा मंजधार में हूं बिगड़ी है हवा, मोरी नय्या पार लगा जाना   या शम्शू नज़रति इला लैली, चू ब तयबा

लम याति नज़ीरुक फ़ी नज़रिन Read More »

हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर

हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन का जल्वा तो सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है   फूल खिलते हैं पढ़ पढ़ के सल्ले-‘अला झूम कर कह रही है ये बाद-ए-सबां ऐसी ख़ुश्बू चमन के गुलों में कहाँ ! जो नबी के पसीने

हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर Read More »