अब मेरी निगाहों में जचता नहीं कोई
अब मेरी निगाहों में जचता नहीं कोई जैसे मेरे सरकार हैं ऐसा नहीं कोई तुम सा तो हसीं आँख ने देखा नहीं कोई ये शान-ए-लताफ़त है के साया नहीं कोई ऐ ज़र्फ़-ए-नज़र देख मगर देख अदब से सरकार का जल्वा है तमाशा नहीं कोई कहती है यही तूर से अब तक शब-ए-,मेअराज दीदार […]
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